Sunanda Aswal

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शौर्ट स्टोरी चैलेंज

शॉर्ट स्टोरीज चैलेंज
जॉनर : सामाजिक

शीर्षक : जमुना पी. सी.ओ. वाली


️एक जमाना था जमुना जी पी.सी.ओ.वाली का.।  गांव में उनका ही फॉन बूथ था ।


लोग अक्सर शाम को : घंटो लम्बी-लम्बी  कतारें लगाते और बैठा कोई घंटो बात करते,कोई दस मिनट कोई बीस मिनट ...अपना अपना हिसाब अपनी अपनी बातों का बिल ..।


बहुत लोग कस कसकर बातें छोड़ते लगता था जैसे उस पार ही पहुंच जाएंगे इतनी जोर से हेलो होता कि बस....हेल्लूऊऊऊऊऊ.....!" ओ जी हां ....बैल को बीमारी लग गई है। गाय की बछिया हुई है । मुन्नी बीमार है। अम्मा को घुटने की तकलीफ है ..।"

कभी कभी जमुना जी को बोलना पड़ता," जोरों से बातें करते हो औरों का भी ख्याल रखो आप सब ।"

बहुत लोग तो उलझ पड़ते," किस बात के पैसे बात हुई नहीं ,घंटी गई भी नहीं मशीन चल दी..। क्या -क्या इतना बिल ? रहने दो।"

--मैं भरूंगी क्या तुम्हारा बिल ?"

कह दिया हमारा कॉल कैसे मानोगे आप ....?जब गया ही नहीं..था ना उठाया किसीने ।"

किच किच होती रही आखिर बोलना पड़ा,"ठीक है परंतु हमारे बूथ पर अब तुम दिखना नहीं समझे । "

कमाई इतना ही था कि,रात गहराते तक सुबह पांच बजे से लाइन लग जाती थी ।

जमुना जी का कहो तो नाश्ता खाना भुला ही जाता फुर्सत के पल ना मिलते कभी ।


बार त्योहार में तो और भी इंगेज..!


शादी ब्याह समारोह सभी फुलपैक्ड जमुना जी की फुर्सत ..।
जमुना जी का अच्छा समय बीत रहा था।
खुश रहती हमेशा ।


एक दिन दिल्ली से पढ़ाई कर भतीजा आया ..एक लम्बी दूरी वाला फॉन ले आया ,जिससे वह दस फिट तक फोन सुन सकता था ..गांव वालों को अचंभा दिखाया..नई तकनीकी से सब बहुत खुश लग रहे थे ..फिलहाल किसी के पास इतने पैसे नहीं थे कि उसको खरीद सकते थे ।
इसलिए उन्होंने फिर भी जमुना जी फोन वाली को नहीं छोड़ा ..और हां इतना अपनत्व लगता सबको कि फोन तो फोन घर के बारे में भी जमुना जी से हाल चाल लेते रहते ।
कुछ सालों बाद जापान से बंसी का  साला गांव आया , अपनी बहन और जीजा के लिए फोन लाया ..।
बंसी जाकर गांव वालों को दिखाया," देखो ..यह मशीन मेरा साला जापान से लाया ..! इसको मोबाइल कहते हैं..यह एक शहर से दूसरे शहर बात कर सकते हैं और यहाँ तक कि दूसरे देश भी बिना तार के ..!"

गांव वाले चबूतरे में इकठ्ठा हो गए नए युग के नई चेतना देखने..।

कबीर बोला,"भाई ये सब तो ठीक है बिल बहुत आता होगा ना ।"
हां सो तो है ..आता तो है पर सहूलियत भी है ना..।"

--- बाबा रे अभी हैसियत कहां पड़ रही हमारी ..।"

--हो जाएगी कुछ समय बाद फिक्र क्यों करते हो ।सरकारी विभाग भी देंगें सुविधा जामें ।"

--जे बात..।" कहकर सभी मुंह देखने लगे ।"पूरे गांव में बंसी की बीबी फोन को घुमाती..वीडियो दिखाती ..लोग धीरे धीरे जमुना को भूलने लग रहे थे..!

जमुना अब थोड़ा ज्यादा फुर्सत हो गई थी..। उसका फोन बूथ पी.सी.ओ. वक्त के साथ धीमा हो गया । इक्का ..दुक्का और कभी सन्नाटा..।

बहुत खलता है सन्नाटा भी ..।लोगों की पंक्तियाँ अब नहीं दिखती ना वह मेले सा रेला..।
सभी अकेले हो गए मोबाइल में ..जमुना जी भी...।

अब दुकान बंद कर दी है..उसके बदले चूड़ी -बिंदी की दुकान खोल दी है..।
पुराने फोन और मशीनो़ं को सरकारी संचार विभाग में जमा कर दिया है...फोन कट गया है ।

अब जमुना जी भी नई टैक्नोलॉजी वाले मोबाइल के द्वारा बातें करती हैं।
नाम  दबाया उसकेे साथ फोन नम्बर खुद  आ जाता  था ....

"हैलो....हैलो...!! कौन है..??
स्पीकिंग जमुना ...!!"

#लेखनी
#लेखनी कहानी
#लेखनी कहानी का सफर
सुनंदा 🌲✍️

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11 Comments

Seema Priyadarshini sahay

28-Apr-2022 09:28 PM

बहुत सुंदर

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Sunanda Aswal

29-Apr-2022 08:58 AM

धन्यवाद हृदय से 🌺❤️

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Sunanda Aswal

05-May-2022 08:33 AM

धन्यवाद हृदय से आभार 🌺🙏

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अफसाना

27-Apr-2022 11:48 AM

Aap bahut achcha likhti h, km shbdo me ghri bat kaise likhte h apko bahut achche se ata h

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Sunanda Aswal

27-Apr-2022 10:23 PM

धन्यवाद हृदय से आभार 🌺🙏🤗❤️

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Renu

26-Apr-2022 10:39 PM

👍👍

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Sunanda Aswal

27-Apr-2022 10:23 PM

धन्यवाद हृदय से 🙏🌺

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